Hindi Shayari

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यकीन और दुआ नजर नहीं आते, मगर नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। अब कौन से मौसम से हम आस लगायें, बरसात में भी याद न जब उनको हम आये। ऐ दिल! मत कर इतनी मोहब्बत तू किसी से, इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा, टूट कर बिखर जायेगा एक दिन अपनों के हाथों, किसने तोड़ा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा। यकीन और दुआ नजर नहीं आते, मगर नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। मेरी आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है, फिर भी मेरे प्यार पर उसको शक आज भी है, नाव में बैठ कर धोये थे उसने हाथ कभी, पानी में उसकी मेहँदी की महक आज भी है।

ये आशिको का ग्रुप है जनाब.. यहाँ दिन सुरज से नही दीदार से हुआ करते है।



पत्तों सी हो गई है, रिश्तों की उम्र,
आज हरे.. कल पीले.. परसों सूखे।

होने लगे रुखसत मेरा दामन पकड़ लिया,
जाओ नही कहकर मुझे बाँहों मे भर लिया।

अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं,
जो एहसानों से नहीं एहसासों से बने होते हैं।

तुमने तो गिरा डाली लम्हे में इमारत,
हम अरसे लगेंगे हमको मलबा हटाने में।

अपने जलने मैं नहीं करता किसी को,
शरीक.. रात होते हीं मैं शम्मा बुझा देता हूँ।

ये कौन है कि जिसका जिस्म हमसे ज़िन्दा है,
हमें तो चेहरा भी आईने में अपना नहीं लगता।

मेरे इब्तिदा-ए-इश्क़ की कहानी ना पूछ मुझसे,
हर सांस में हज़ारों बार तेरा नाम लिया हैं।

सारी उम्र तो कोई जीने की वजह नहीं पूछता,
लेकिन मौत वाले दिन सब पूछते है कि कैसे मरे।

सांसों की पायल पहन के ज़िंदगी निकली तो है,
क्या पता कब छनके.. ना जाने कब टूट जाये।

जीत लेते हैं हम मुहोब्बत से गैरों का भी दिल,
पर ये हुनर जाने क्यों अपनों पर चलता ही नहीं।

ग़ज़ब ख़ूबसूरत है तुम्हारा हर अन्दाज़,
इश्क़ में जलने का मुहब्बत में जलाने का।

महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए,
ये रस्म-ए-अंजुमन है चाहत का गुमाँ न कर।

बुढे माँ बाप को अपने घर से निकाल रख़ा है,
अजिब शौख़ है बेटे का कुतों को पाल रख़ा है।

जब दिल से हमारा रिश्ता था बहुत कमाल था,
तुमने दिमाग लगाके बड़ा बवाल कर दिया।

तू हर जगह खूबसूरती तलाश न कर,
हर अच्छी चीज मेरे जैसी नहीं होती।

सुनो तुम मुझसे पहले न मरना..
मुझे तुम्हे अपनी मौत का दर्द देना है।

आखिर लग ही गयी न तुम्हें मोहब्बत की ठण्ड,
कितना समझाया था कि ओढ़ लो तमन्ना मेरी।

ये सोच के कटवा दिया कमबख्त ने वो पेड़,
आँगन में मेरे है और पड़ोसी को हवा देता है।

एक ख्याल हूँ तुम्हारा कब तक मुझे याद रखोगे,
भूल ही जाओगे जब सिरहाने नये ख्वाब रखोगे।

मुझे नहीं आती हैं उड़ती पतंगों सी चालाकियां,
गले मिलकर गला काटूं.. वो मांझा नहीं हूँ मै।

बस चाहत है इतनी सी मेरी,
मेरी धड़कन तेरे दिल से जुड़ी रहे।

दूरियों से ही एहसास होता है,
कि नज़दीकियाँ कितनी ख़ास होती है।

तुम सामने आये तो अजब तमाशा हुँआ,
हर शिकायत ने जैसे खुदखुशी कर ली।

जानता हूँ मैं, अभी भी चाहती है मुझे,
ज़िद्दी है वो थोड़ी सी, मगर बेवफ़ा नहीँ।

बस ये ही बात मुझे उसकी अच्छी लगती है,
उदास करके कहते है, नाराज तो नही हो ना।

रिश्ता उन से इस कदर मेरा बढ़ने लगा,
वो मुझे पढ़ने लगे, हम उन्हें लिखने लगे।

पुराने आशिक वफा तलाश करते थै,
आजकल के आशिक जगह तलाश करते है।

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी,
चलने का न सही, सम्भलने का हुनर तो आ गया।

फितरत किसी की ना आजमाया कर ऐ जिंदगी,
हर शख्स अपनी हद में बेहद लाजवाब होता है।

खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं,
ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं।

ये आशिको का ग्रुप है जनाब..
यहाँ दिन सुरज से नही दीदार से हुआ करते है।

न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।

उम्र कैद की तरह होते हे कुछ रिश्ते,
जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नही।

कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते।

कभी कुछ रिश्ते इस कदर घायल कर देंते है,
की अपने ही घर लौट पाना मुश्किल हो जाता है।

उम्मीद ना करो इस दुनिया से किसी से हमदर्दी,
की बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले।

ख्वाब हमारे टूटे तो हालात कुछ ऐसी थी,
आँखे पल पल रोती थीं, किस्मत हँसती रहती थी।

मेरी तमन्नाओं की दुनिया पर उदासी छा गयी,
भूली थी कभी जो दास्ताँ आज फिर याद आ गयी।

उनसे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत क्या चीज है,
ज़िन्दगी वो थी जो हम उनकी महफ़िल में गुजार आए।

इश्क करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना,
ए दोस्त इसमें हँसते साथ है पर रोना अकेले ही पड़ता है।

रोज़ मिट्टी में कहां जान पड़ा करती है,
इश्क सदियों में कोई ताजमहल देता है।

चिराग कैसे अपनी मजबूरियाँ बयाँ करे,
हवा जरूरी भी और डर भी उसी से है।

बिछड़ कर फिर मिलेंगे यकीन कितना है,
बेशक खवाब ही है मगर हसीन कितना है।

तुम्हें चलना ही कितना है सनम बस मेरी..
धड़कनों से गुजरकर इस दिल में ही उतरना है।

क्या बताऊँ उनकी बातें कितनी मीठी हैं,
सामने बैठ के फीकी चाय पीते रहते हैं।

नशा इन निगाहों का अब जीने ना देगा,
लग गया जो एक बार तो कुछ और पीने ना देगा।

जिन्दगी में हर साँसे मीठी लगने लगती है,
जब तुम कहते हो, हम आपके दिल में रहते हैं।

खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से,
दर्द जान जाओगे जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।

भीगे कागज की तरह कर दिया तूने जिंदगी को,
न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के।

नज़रों से ना देखो हमें तुम में हम छुप जायेंगे,
अपने दिल पर हाथ रखो तुम हम वही तुम्हें मिल जायेंगे।

बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी कुछ ना कर सके।

नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।

बहोत-सा इश्क है मुझे तुमसे,
बस तुम ज़रा-सा कर लो मुझसे।

बेजान तो हम अब भी नही पर..
जो हमें, जान कहते थे वो कहीं खो गये।

तुझ से जो इश्क़ है वो बेहद है क्यूँकि,
हद और सरहद ज़मीं की होती है दिल की नहीँ।

नहीं मालूम हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,
बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।

लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में यूँ बदलाव करके देख,
तू देख कर न मुस्कुरा बस मुस्कुरा के देख।

तेरी मेरी मोहब्बत का राज उस वक्त खुल गया,
जब दिल तेरी कसम खाने से मुकर गया।

सुनसान सी लग रही है, आज ये शायरों की बस्ती,
क्या किसी के दिल मे, अब दर्द नहीं रहा।

जरूरी नहीं है ईश्क में बॉहों के सहारे ही मिले,
किसी को जी भर के महसुस करना भी मोहब्बत है।

खींच कर उतार देते हैं उम्र की चादर, 
ये कमबख़्त दोस्त कभी बूढ़ा नहीं होने देते।

झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया,
इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते।

लोग पूछते है वजह तेरे मेरे करीब होने की,
बता दे उनको मैं इश्क हूँ और तू मेरी आदत।

तुम मुहब्बत के सौदे बड़े अजीब करते हो,
बस यू नीगाहों से मुस्कुराते हो और दिल खरीद लेते हो।

ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें,
ख्वाहिशे दफ़न करे, या चादर बड़ी करें।

तेरी मौजूदगी महसूस वो करे जो जुदा हो तुझसे,
मैंने तो अपने आप में तुझे बसाया है एक दोस्त की तरह।

याद आयेगी हर रोज, मगर तुझे आवाज़ न दूंगा,
लिखूंगा तेरे लिये हर गजल, मगर तेरा नाम न लूंगा।

मेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल,
जिनके चाहने वाले ज्यादा हो वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं।

तलब मौत की करना गुनाह है ज़माने में यारो,
मरने का शौक है तो मोहब्बत क्यों नही करते।

जिंदगी में कभी भी अपने किसी हुनर पे घमंड मत करना,
क्यूँकी पत्थर जब पानी में गिरता है तो अपने ही वजन से डूब जाता है।

रास आने लगती है तन्हाई भी,
बस एक-दो रोज़ बुरा लगता है।

तुम्हें ये कौन समझाये, तुम्हें ये कौन बतलाये,
बहुत खामोश रहने से, ताल्लुक टूट जाते है।

आईना कब किसको, सच बता पाया है,
जब देखा दायाँ तो, बायाँ ही नजर आया है।

ज़ुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आज़माए गये,
ज़ुल्म भी सहा हमने और ज़ालिम भी कहलाये गये।

नाराज़ ना होना कभी बस यही एक गुज़ारिश है,
महकी हुई इन साँसों की साँसों से सिफ़ारिश है।

रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिये,
नफरत भी कीजिये तो ज़रा मोहब्बत से कीजिये।

ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ लेकिन,
नमी आखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो।

नदी के किनारों सी लिखी उसने तकदीर हमारी,
ना लिखा कभी मिलना हमारा, ना लिखी जुदाई हमारी।

जज़्बात कहते हैं खामोशी से बसर हो जाए,
दर्द की ज़िद्द है कि दुनिया को खबर हो जाए।

वक़्त वक़्त की मोहब्बत है वक़्त वक़्त की रूसवाईयां,
कभी पंखे सगे हो जाते हैं तो कभी रजाईयां।

कुछ नेकियाँ ऐसी भी होनी चाहिए,
जिसका खुद के सिवा कोई गवाह ना हो।

छूती है जब सर्द हवाएं मेरे तन मन को,
तो ना जाने क्यूँ एहसास तुम्हारा होता है।

इबादत में ना जो फायदा तो यूँ भी होता है,
हर नई मन्नत पर दरगाहें बदल जाती है।

तू हर जगह खूबसूरती तलाश ना कर,
हर अच्छी चीज़ मेरे जैसी नहीं होती।

नाख़ून अल्फ़ाज़ों के रोज़ पैने करता हूँ,
ज़ख़्म रूह के सूखे अच्छे नहीं लगते।

ज़िन्दगी की खरोंचों से ना घबराइए जनाब,
तराश रही है खुद ज़िन्दगी निखर जाने को।

ये मेरे चारों तरफ किस लिए उजाला है,
तेरा ख़्याल है या दिन निकलने वाला है।

ये कौन कहता है कि तेरी याद से बेखबर हूँ मैं,
मेरी आँखों से पूछ लें मेरी रातें कैसे गुज़रती है।

सारी दुनियाँ छोड़ के मैंने तुझको अपना बनाया था,
करोगे याद सदियों तक कि किसी ने दिल लगाया था।

मोहब्बत किसी से करनी हो तो हद में रहकर करना,
वरना किसी को बेपनाह चाहोगे तो टूटकर बिखर जाओगे।

उसे शोहरत ने तनहा कर दिया है,
समंदर है.. मगर प्यासा बहुत है।

यूँ बार बार निहारती हो आईना,
ख़ूबसूरती पे गुमान है.. या शक।

हर्फ़ तीखे और लहज़ा अदब का,
वाह क्या हुनर है तुम में गजब का।

फटे दुपटटे से सर ढक लिया ग़रीबी ने,
हवा में उडता है आंचल अमीरज़ादी का।

सोंचता था.. मैं रह नहीं पाऊंगा तेरे बग़ैर,
देखो.. तुमने ये भी सिखा दिया मुझको।

किसी को घर से निकलते ही मिल गई,
मंज़िल.. कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।

चल यारा मोहब्बत करने का हुनर सिखाता हूँ,
इश्क तुम शुरू करो.. निभाकर मैं दिखाता हूँ।

बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का,
कारोबार.. मुनाफा कम है पर गुज़ारा हो ही जाता है।

हर सांस सज़्दा करती है, हर नज़र में इबादत होती है,
वो रूह आसमानी होती है, जिस दिल में मुहब्बत होती है।

मेरी धड़कन की आवाज़ सुननी हो तो, मेरे सीने पर अपना सर रख,
वादा है मेरा ज़िन्दगी भर तेरे कानों में, मेरी मोहब्बत गूंजेगी।

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