इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..
कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।
एक ताबीज़.. तेरी-मेरी दोस्ती को भी चाहिए..
थोड़ी सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती हैं।
भरी महफ़िल मे दोस्ती का जिक्र हुआ, हमने तो..
सिर्फ़ आप की ओर देखा और लोग वाह-वाह कहने लगे।
मिट जाते है औरों को मिटाने वाले
लाश कहा रोती है, रोते है जलाने वाले।
वक़्त के भी अजीब किस्से है..
किसी का कटता नही और, किसी के पास होता नही।
आँसू वो खामोश दुआ है
जो सिर्फ़ खुदा ही सुन सकता है।
वो किताबों में दर्ज था ही नहीं,
जो सबक सीखाया जिंदगी ने।
यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता..
सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता।
सुनो, रिश्तों को बस इस तरह बचा लिया करो,
कभी मान लिया करो, कभी मना लिया करो..!!
यूँ तो जिंदगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी,
दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारें बहुत थी!!
बस इतना याद है, सारे अपने थे..
किसने क्या चाल चली, कुछ याद नही।
दिल है, टूटेगा पता था..
जिसके लिए धड़कता है,वो तोड़ेगा, नही पता था।
जुदा होकर भी जी रहे है..
जो कभी कहते थे ऐसा हो ही नही सकता।
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म,
सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है।
लाख पता बदला, मगर पहुँच ही गया..
ये ग़म भी था कोई डाकिया ज़िद्दी सा।
मुझको छोडने की वजह तो बता जाते..
तुम हमसे बेजार थे या हम जैसे हजार थे।
ख्वाहिश सिर्फ यही है की..
जब मैं तुझे याद करु तू मुझे महसूस करे।
शीशा तो टूट कर, अपनी कशिश बता देता हैं
दर्द तो उस पत्थर का हैं, जो टुटने के काबिल भी नही।
खुद को समेट के, खुद में सिमट जाते हैं हम..
एक याद उसकी आती है.. फिर से बिखर जाते है हम।
कर दिया मेरी चाहत ने उसे लापरवाह..
मैने याद नही दिलाया, तो मेरा ख्याल भी नही आया।
शायरों से ताल्लुक रखो, तबियत ठीक रहेगी
ये वो हकीम हैं, अलफ़ाजो से ईलाज करते है।
तुम नफरतों के धरने, कयामत तक जारी रखो
मैं मोहब्बत से इस्तीफा, मरते दम तक नहीं दूंगा।
ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट, तू गुमां न कर..
बुलंदियाँ छू हज़ार मगर, उसके लिए कोई गुनाह न कर।
तेरे इश्क में डूब कर कतरे से दरिया हो जाऊँ,
मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ख़त्म हो जाऊँ।
लोग कहते हैं कि आदमी को अमीर होना चाहिए,
और हम कहते कि आदमी का जमीर होना चाहिए।
साहिब.. इज्जत हो तो इश्क़ जरा सोच कर करना,
ये इश्क अक्सर मुकाम-ए-जिल्लत पे ले जाता है।
संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो,
शाबाशी और खंजर दोनो वहीं पर मिलते है।
हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
आज दिल कर रहा था, बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,
पर फिर सोचा, उम्र का तकाज़ा है, मनायेगा कौन।
मैं निकला सुख की तलाश में रस्ते में खड़े दुखो ने कहा,
हमें साथ लिए बिना सुखों का पता नहीं मिलता जनाब।
ये आँखे दिनभर कुछ तलाशती रहती हैं..
कोई तो है जिस का इन्हे इंतजार है।
मुझे भी तो किसी का प्यार पाना है,
क्या बुरा है अगर तुमको ही चाहूँ तो।
एहसासों की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,
रेत भी सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है।
मुझे तलाश है उन रास्तों कि, जहां से कोई गुज़रा न हो,
सुना है.. वीरानों मे अक्सर, जिंदगी मिल जाती है।
उनकी नज़रो में फर्क अब भी नही,
पहले मुड़ के देखते थे, अब देख के मुड़ जाते है।
तुम अच्छे हो तो बेहतर, तुम बुरे हो तो भी कबूल,
हम मिज़ाज-ऐ-दोस्ती में ऐब-ऐ-दोस्त नहीं देखा करते।
दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो,
एक कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है।
मे इंतेज़ार मे हूँ की कब टूटेगी तेरी खामोशी,
तुम इंतेज़ार मे हो की नही देख मेरी खामोशी।
गम ये नहीं है कि कोई ये सब खुशियाँ बांटने वाला होता,
पर कोई तो होता जो गलतियों पर डांटने वाला होता।
बड़ा मुश्किल काम दे दिया किस्मत ने मुझको,
कहती है तुम तो सबके हो गए, अब ढूंढो उनको जो तुम्हारे है।
Waaa
ReplyDeleteGazab shayar sahab
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