बुरे हे हम तभी तो जी रहे हे..
अच्छे होते तो दुनिया जीने नही देती।
बहुत देता है तू उसकी गवाहियाँ और उसकी सफाईयाँ,
समझ नहीं आता तू मेरा दिल है या उसका वकील..।।
दिल मजबूर हो रहा है तुम से बात करने को
बस जिद ये है कि बात की शुरुआत तुम करो।
मजबूर ना करेंगे तुझे वादे निभाने के लिए।
तू एक बार वापस आ अपनी यादें ले जाने के लिए।
दिल के किसी कोने में अब कोई जगह नहीं ऐ सनम,
कि तस्वीर हमने हर तरफ तेरी ही लगा रखी है।
एक तो सुकुन और एक तुम..
कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही।
खटखटाए न कोई दरवाजा, बाद मुद्दत मैं खुद में आया हूँ,
एक ही शख़्स मेरा अपना है, मैं उसी शख़्स से पराया हूँ।
देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है।
ऐ दिल चल छोड अब ये पहरे,
ये दुनिया है झूठी यहाँ लोग हैं लुटेरे।
हुस्न वालों को क्या जरूरत है संवरने की,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
मेरे पास तो चश्मदीद गवाह भी तु ही थी।
काश तेरा घर मेरे घर के बराबर होता,
तू न आती तेरी आवाज तो आती रहती।
कभी जो मुझे हक मिला अपनी तकदीर लिखने का..
कसम खुदा की तेरा नाम लिखुंगी और कलम तोड दुंगी।
मौजूद थी अभी उदासी रात की,
बहला ही था दिल ज़रा सा के फ़िर भोर आ गयी।
ख्वाहिश-ए-ज़िंदगी बस इतनी सी है अब मेरी,
कि साथ तेरा हो और ज़िंदगी कभी खत्म न हो।
करम ही करना है तुझको तो ये करम कर दे,
मेरे खुदा तू मेरी ख्वाहिशों को कम कर दे।
गरीब का दर्द सुला दिया माँ ने..
ये कहकर, परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर।
तुम बदले तो मज़बूरिया थी,
हम बदले तो बेवफा हो गए।
अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे।
तेरी याद से शुरू होती है मेरी हर सुबह,
फिर ये कैसे कह दूँ.. कि मेरा दिन खराब है।
बंद कर दिए है हमने दरवाज़ें “इश्क” के,
पर तेरी याद हे की “दरारों” मे से भी आ जाती हैं।
जिंदगी सफ़र पर निकल चुकी है,
मंजिल कब मिलेगी तू ही बता ये मेरे खुदा।
जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते हैँ अक्सर सीने से लगाने वाले।
बहुत कुछ खरीदकर भी बहुत कुछ बचा लेता था,
आज के जमाने से तो, वो बचपन का जमाना अच्छा था।
बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर,
जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया।
जिंदगी के पन्ने कोरे ही अच्छे थे,
तूने सपनों की स्याही बिखेर कर दाग दाग कर दिया।
Jab tak bika na tha to koi poochta na tha,
Tune mujhe khareed ke anmol kar diya..
Main toh bik jaun tere naam pe maut ki tarah,
Tu kabhi kharidar to ban, is zingadi ke bazaar mein..
Suna hai aaj bik raha hai ishq baazaar mein,
koi unse pooche kya wafa bhi saath dete ho..
Hum ne tere baad na rakhi kisi se mohabbat ki aas;
Ek shakhs hi bahut tha, jo sub kuch sikha gaya.
Woh khud par garoor karte hai, to isme hairat ki koi baat nahi.
Jinhe hum chahte hai, woh aam ho hi nahi sakte.
Hum bhi bikne gaye the bazaar-e-ishq mein,
Kya pata tha wafa karne walon ko log khareeda nahi karte.
Tamam umr usi ke khayal mein guzar gayi,
Jise umr bhar mera khayal na aaya..
Koi batayega kaise dafnate hain unko,
Woh khwab jo dil mein hi mar jate hain..
Usne kaha tha aankhen bhar ke dekha kar mujhe,
Yaaron ab aankhen to bhar aati hai par vo nahi dekhte..
Main bhi kabhi hasta khelta tha
kal ek purani tasveer mein dekha tha khud ko..
Odh kar mitti ki chadar benishan ho jayenge,,
Ek din aayega hum bhi dastaan ho jayenge..
Raat shama bujha ke bahut der tak mehfil sajai humne,
Main apne dil ke liye rota raha aur yeh dil tere liye..
Seekh jao waqt par kisiki chahat ki qadar karna,
Kahin koi thak na jaye tumhein ehsaas dilate dilate..
Na tha koi hamara na ham kisi ke hain,
Bus ek Khuda hai aur hum usi ke hain..
Shohrat to janaze ke din pata chalegi,
Daulat to koi bhi kama leta hai..
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही..
मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.!!
इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता हैं,,,
लेकिन किस्मत और नसीब नही.. ☝
कभी रजामंदी, तो कभी बगावत है इश्क..
मोहब्बत राधा की है, तो मीरा की इबादत है इश्क..!! ?
नहीं मांगता ऐ खुदा कि,जिंदगी सौ साल की दे..
दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे..!!! ?
कोई ? माल में खुश है कोई सिर्फ ? दाल में खुश है
खुशनसीब है वो लोग.. जो हर हाल में ☺ खुश है..!! ?
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश..!!
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