Hindi Shayari

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यकीन और दुआ नजर नहीं आते, मगर नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। अब कौन से मौसम से हम आस लगायें, बरसात में भी याद न जब उनको हम आये। ऐ दिल! मत कर इतनी मोहब्बत तू किसी से, इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा, टूट कर बिखर जायेगा एक दिन अपनों के हाथों, किसने तोड़ा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा। यकीन और दुआ नजर नहीं आते, मगर नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। मेरी आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है, फिर भी मेरे प्यार पर उसको शक आज भी है, नाव में बैठ कर धोये थे उसने हाथ कभी, पानी में उसकी मेहँदी की महक आज भी है।

मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया एक दिन बोला बन्दा तू ठीक है मैं ही ख़राब चल रहा हूँ ...


मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया
एक दिन बोला बन्दा तू ठीक है मैं ही ख़राब चल रहा हूँ .

उम्र बीत गयी पर एक जरा सी बात समझ नही आई..!!
हो जाये जिन से मोहब्बत वो लोग कदर क्यों नही करते..!!

उम्र बीत गयी पर एक जरा सी बात समझ नही आई..!!
हो जाये जिन से मोहब्बत वो लोग कदर क्यों नही करते..!

मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ
पीछे जब भी मुड़ कर देखूं तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है…!

जब जिन्दा थे तो बेबुनियाद आरोप लगाती रही,
जब कब्र में सोये तो ‘शख्स बडा लाजबाब था’

आज मैंने दिल को थोड़ा साफ़ किया,
कुछ को भूला दिया, कुछ को माफ़ किया!!

मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे मंजुर है..!! .
लेकिन धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता..!

इश्क की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही,
दर्द कम हो कि ज्यादा हो, मगर हो तो सही…।

मोहब्बत की आजतक बस दो ही बातें अधूरी रही,
इक मै तुझे बता नही पाया, और दूसरी तूम समझ नही पाये..

बड़े अजीब से हो गए रिश्ते आजकल..
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नही.

रोने की वजह न थी हसने का बहाना न था
क्यो हो गए हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था!

किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है!!
कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा!

जो दिल को अच्छा लगता है उसी को दोस्त कहता हूँ,
मुनाफ़ा देखकर रिश्तों की सियासत नहीं करता ।।।

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की….
तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की….

जिस घाव से खून नहीं निकलता,
समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है.

तुम रख न सकोगे, मेरा तोहफा संभालकर,
वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर…!

अपने वजूद पर इतना न इतरा … ए ज़िन्दगी.
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है ।

वही हुआ न तेरा दिल, भर गया मुझसे…
कहा था न ये मोहब्बत नहीं हैं, जो तुम करती हो…!!

क्या कशिश थी उस की आँखों में.. मत पूछो.
मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे यही चाहिये…??

प्यार मोहब्बत चाहत इश्क़ जिन्दगी उल्फ़त ,
एक तेरे आने से कितना बदल गई किस्मत।

दिसम्बर क्या आया, रह गये दोनो अकेले
एक मै दुसरा वो कैलेण्डर का पेज आखरी

सपने तो बहुत आये पर, तुमसा कोई सपनों मे न आया।
फिजा मे फूल तो बहुत खिले पर, तुमसा फूल न मुसकुराया ॥

मन्जिले मुझे छोड़ गयी रास्तों ने सभाल लिया है..!!
जा जिन्दगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया है.

भूल कर भी अपने दिल की बात किसी से मत कहना,
यहाँ कागज भी जरा सी देर में अखबार बन जाता है!

चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह..
मगर खामोश रहता हूँ, अपनी तकदीर की तरह..

ताकत की जरूरत तब होतीं हैं जब कुछ बुरा करना हों ..
वरना दुनियाँ में सब कुछ पाने के लिए प्यार ही काफ़ी हैं …!!

चाहो तो छोड़ दो.. चाहो तो निभा लो..
मोहब्बत तो हमारी है.. पर मर्जी सिर्फ तुम्हारी है..!!!

हम तो पागल है जो शायरी में ही दिल की बात कह देते है..l
लोग तो गीता पे हाथ रखके भी सच नहीं बोलते !!

ना किया कर अपने दर्द को शायरी में ब्यान ये नादान दिल,
कुछ लोग टुट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर…

तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी,
हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी…!!

दोस्तो से अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,,
कमबख्त हर बात पर कहते हैं कि तुझे छोडेंगे नहीं.

वहीँ तारीख वहीँ दिन वहीँ समा बस वो लोग नहीं जिन्होंने बना दिया यादगार हर लम्हा.

जींदगी गुझर गई सारी कांटो की कगार पर,
और फुलो ने मचाई है भीड़ हमारी मझार पर!!

सुनो तुम मेरी जिद नहीं जो पूरी हो…
तुम मेरी धड़कन हो जो जरुरी हो..

और कितने इम्तेहान लेगा वक़्त तू
ज़िन्दगी मेरी है फिर मर्ज़ी तेरी क्यों

यकीन नहीं होता फिर भी कर ही लेता हूँ…
जहाँ इतने हुए एक और फरेब हो जाने दो…

जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना.
कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है.!

तुम भी अच्छे … तुम्हारी वफ़ा भी अच्छी,
बुरे तो हम है जिनका दिल नहीं लगता तुम्हारे बिना…

सुनो! बार बार मेरी ‪‎प्रोफाइल‬ खोल के ‪#तस्वीर‬ ना देखा करो…
नज़र ‪‎मोहब्बत‬ की होगी तो नज़र लग जाऐगी !!‪

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,,,
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी..

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।

जब नफ़रत करते करते थक जाओ..
तो एक मौका प्यार को भी दे देना।

खामोशियाँ बहुत कुछ कहती हैं,
कान नही दिल लगा कर सुनना पड़ता है।

मैंने उसे बोला ये आसमान कितना बड़ा है ना,
पगली ने गले लगाया और कहा इससे बड़ा तो नहीं।

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहेब,
सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से।

मैने जो पुछा उनसे कि.. यूँ बात बात पे रूलाते क्युँ हो..
वो बङे प्यार से बोली, मुझे बहता हुआ पानी बेहद पंसद है।

शायरी लिखना बंद कर दूंगा अब मैं यारो..
मेरी शायरी की वजह से दोस्तों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते।

जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
मेरी बेवफायी से ही मर जाओगे या मार के जाऊ!।

ठहर सके जो.. लबों पे हमारे,
हँसी के सिवा, है मजाल किसकी।

तुम पल भर के लिए दूर क्या जाते हो,
तो हम ‘बिखरने’ से लगते हैं।

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