यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते…
किसी को अपना कैसे मानेंगे…!!
कुछ नाकामयाब रिश्तों में पैसे नहीं..
बहुत सारी ‘उम्मीदें और वक्त’ खर्च हो जाते हैं…
सहर ख़्वाब में तुम फ़िर आये थे
सरहाने पे फ़िर आज ओस की बून्दें हैं…..
बिछडते वक्त मेरे ऐब गिनाये उसने,
सोचता हूँ जब मिला था तब कौन सा हुनर था मुझमें ….!!
कौन पूरी तरह काबिल है, कौन पूरी तरह पूरा है,
हर एक शक्स कहीं न कहीं से थोड़ा सा अधूरा है…!
एहसास अल्फाजों के मोहताज नहीं होते.
फिर क्यों तेरे हर लफ्ज़ का बेसब्री से इंतजार रहता है..!!
ठहर सके जो.. लबों पे हमारे,
हँसी के सिवा, है मजाल किसकी..!!
नाराज़गियों को कुछ देर चुप रह कर मिटा लिया करो,
ग़लतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते हैं !!
बदन मैला ही सही , साफ़ रहने का मौका नही होता
मन साफ़ है लेकिन , ये कहने का कोई मौका नही देता |
हवाओं के हवाले.. करके बैठे है खुद को
क्या पता किसी दिन तुम-तक पहुँच जाएँ…
कुछ ऐसा अंदाज़ है उनकी हर अदा में
के तस्वीर भी देखूं तो ख़ुशी आ जाती है चेहरे पे..!!
ये सर्द हवाएं मुझसे कहती है कि दिसम्बर आ गया है.
मुझे ऊन बाहों की गर्माहट का इंतज़ार आज भी है…
तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने.,
हमे इश्क का शौक है, आवारगी का नही !!
बोलो किस तरह से समा जाऊँ तुझ में मैं,
होठो पर होठ रखू या रूह में रूह भर दू…!!!
कभी धूप तलाशते हैं तो कभी छाँव
बड़ी बेवफा सी हमारी तलाश है।
मुझे भुल जाने का किसी से जिक्र मत करना,
मैं लोगों से कह दुंगा उसे फुरसत नहीं मिलती !!
तो friends अगर इनमे से कोई भी शायरी गलत हो तो कमेंट में वो शायरी लिखना ना भूले |
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