हिंदी शायरी
तेरा मिलना, मेरे लिए ख्वाब सही…
पर तुझे भूलूँ मैं ऐसा कोई लम्हा मेरे पास नहीं…!!
वो आँख क्या जो ग़ैर की ख़ातिर न रो सके…
वो दिल ही क्या जिसमें ज़माने का ग़म नही…!!
सताती है अब भी तेरी मोहब्बत,
मैं जरा सा याद करती हूँ तो…तड़फ़ जाती हूँ
बिक चुके थे वो, जब हम खरीदने के काबिल हुए
एक जमाना बीत गया, हमें अमीर होते होते
नींद से बोझल आँखें और बंद होती पलकों के बीच…
वो उनके आने की ज़रा सी उम्मीद इश्क़ है…!!
बेरंग ही होती है, हक़ीक़त-ए-ज़िन्दगी ऐ दोस्त;
वर्ना झूठ के चेहरों के तो, हज़ारो रंग होते हैं!
बाते करने से तुझसे खुद को रोकना
एक तकलीफ का सबब ही तो हैं !!
आज ज़िन्दगी में ये मुक़ाम आया है,
दिल के किसी कोने में उनका नाम आया है
गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी
साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं…
अच्छा लगता है तुम्हारे लफ्जों में खुद को ढूँढना
इतराती हूँ , मुस्कुराती हूँ और तुममें ढल सी जाती हूँ..
चेहरा खुली किताब है उनवान जो भी दो…
जिस रुख़ से भी पढ़ोगे मुझे जान जाओगे…!!
मेरे अल्फ़ाज़ झगड़ पड़े हैं, तुम्हारे इश्क़ की तारीफ के खातिर….
कोई कह रहा है तुम्हे चाँद लिखूँ, तो कोई कह रहा है कायनात!
दिल धड़कने लगता है ख़यालों से ही…
ना जाने क्या हाल होगा मुलाक़ातों में…
वो मुझसे पूछती है की ख्वाब किस-किस के देखते हो,
बेखबर जानती ही नहीं की यादें उसकी सोने कहाँ देती है..
बहुत दिन हो गए ‘मुहब्बत’ लफ्ज़ सुनकर
हाँ कल ‘बेवफ़ा’ सुना तो तुम याद आ गए!
मेरी फितरत नहीं आपना गम बय़ा करना
अगर तू सच्चा दोस्त है तो महसूस कर गम मेरा
तो friends अगर इनमे से कोई भी शायरी गलत हो तो कमेंट में वो शायरी लिखना ना भूले |
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