कौन कहता है अलग अलग रहते हैं हम और तुम,
हमारी यादों के सफ़र में हमसफ़र हो तुम।
कौन कहता है के तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती,
बड़ा हसीन मौका देती है ये ख़ुद से मिलने का।
वो दुश्मन बनकर, मुझे जीतने निकले थे,
दोस्ती कर लेते, तो मैं खुद ही हार जाता।
वो सुर्ख होंठ और उनपर जालिम अंगडाईयां,
तू ही बता, ये दिल मरता ना तो क्या करता।
कौन कहता है कि हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखिये।
दर्द की शाम है, आँखों में नमी है,
हर सांस कह रही है, फिर तेरी कमी है।
सारे साथी काम के, सबका अपना मोल,
जो संकट में साथ दे, वो सबसे अनमोल।
मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है,
बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।
शोर करते रहो तुम.. सुर्ख़ियों में आने का..
हमारी तो खामोशियाँ भी, एक अखबार हैं।
सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये।
वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत का,
अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं होती।
हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
इतनी दिलक़श आँखें होने का, ये मतलब तो नही..
कि, जिसे देखो.. उसे दिवाना कर दो।
जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो,
वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।
मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है,
बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।
जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो,
वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।
नफरत के बाजार में मोहब्बत बेचते है,
कीमत में सिर्फ और सिर्फ दुआ ही लेते है।
हर कदम पर जिन्दगी एक नया मोड लेती है,
कब न जाने किसके साथ एक नया रिशता जोड देती है।
अजीब सा हाल है कुछ इन दिनों तबियत का,
ख़ुशी ख़ुशी नही लगती और ग़म बुरा नही लगता।
क्या अब भी तुमको चरागों की जरुरत है,
हम आ गए है अपनी आँखों में वफ़ा की रौशनी ले कर।
दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर,
हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर।
वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको गैर कह के चला गया।
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
खुशनसीब कुछ ऐसे हो जाये,
तुम हो हम हो और इश्क हो जाये।
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में,
पर खुश रहने का मज़ा आपके ही साथ है।
ए मेरी कलम इतना सा अहसान कर दे
कह ना पाई जो जुबान वो बयान कर दे।
अब मौत से कहो की हमसे नाराज़गी ख़त्म कर ले,
वो बहुत बदल गए है, जिसके लिए हम जिया करते थे ।
जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ,
जख्म का एहसास तो तब हुआ जब चलाने वाले पे नजर पड़ी।
परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे..
बस इतनी सी दुआ है, दोस्त मेहरबां रहे।
गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है
झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ।
बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है, क्या पता कब प्यास लग जाए।
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता।
कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू सेराज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।
तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीं होती ग़ालिब,
वजह यही है की आँसू भी नमकीन होते है।
मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए।
ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें
इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते।
अपने रब के फैसले पर, भला शक केसे करूँ,
सजा दे रहा है गर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा मेरा।
शान से जीने काशौंक है, वो तो हम जियेंगे
बस तूँ अपने आप को सम्भाल हम तो यूहीँ चमकते रहेंगे।
रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है,
बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है!!
दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है॥
तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।
मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।
हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं!!
मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!
कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।
वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।
लोग वाकिफ हे मेरी आदतो से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।
लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।
सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,
तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।
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